Add To collaction

लेखनी कहानी -14-Jun-2022 आंखों में

आंखों में जब भी उसकी देखा है बारेहा,
मुहब्बत  उसे है मुझसे लगता है बारेहा।

जिनका  जवाब  मेरी  हदों  से बाहर है,
ऐसे सवाल मुझसे वो करता है बारेहा।

तुझको ही ढूंढे हर जगह तुझको पुकारे दिल,
तेरा नाम ही अब तो ये पढ़ता है बारेहा।

सवँरता है जब भी तू इस शीशे के सामने,
तुझको ही देख शीशा सवँरता है बारेहा।

'तनहा' न यूँ उदास हो, आते है ये मक़ाम,
मिलता है कोई, कोई बिछड़ता है बारेहा।

Tariq azeem tanha

   14
5 Comments

Pallavi

19-Jun-2022 10:05 AM

Nice post 😊

Reply

Seema Priyadarshini sahay

17-Jun-2022 04:57 PM

बेहतरीन

Reply

Sona shayari

16-Jun-2022 08:58 AM

Nice

Reply